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RBI ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव, जानें आपके Loan की EMI पर क्या होगा असर?


नई दिल्ली: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने आज मौद्रिक नीति बैठक 2024 (RBI MPC Meeting 2024) के फैसले का ऐलान किया. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार नौंवी बार रेपो रेट (Repo Rate) को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने नीतिगत दर को यथावत रखने के निर्णय के पक्ष में मत दिया. एमपीसी ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है.

उन्होंने कहा कि महंगाई को टिकाऊ स्तर यानी चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है.

लोन की EMI में नहीं होगी कोई वृद्धि

आपके होम लोन की ईएमआई पर इसका क्या असर होगा ये जान लीजिए…अगर आरबीआई ने रेपो रेट को स्थिर रखा है, तो इसका मतलब है कि कम से कम फिलहाल आपके होम लोन या अन्य लोन की ईएमआई में कोई वृद्धि नहीं होगी.

रेपो रेट क्या है?

रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बैंकों को पैसे उधार देता है. रेपो रेट में बदलाव का असर हम सभी पर पड़ता है. अगर आप घर या कार का लोन लेना चाहते हैं तो रेपो रेट का सीधा असर आपकी ईएमआई पर पड़ता है. दरअसल, रेपो रेट यह तय करती है कि बैंकों को पैसे उधार लेने में कितना खर्च आएगा और बदले में वे अपने ग्राहकों से कितना ब्याज लेंगे.

GDP वृद्धि दर के अनुमान 7.2 प्रतिशत पर बरकरार

गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद या  जीडीपी वृद्धि दर (GDP Growth Rate) के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है.चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation)के 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है. उन्होंने आगे कहा कि देश में महंगाई तीसरी तिमाही में कम होने की उम्मीद है. घरेलू स्तर पर ग्रोथ बनी हुई है.

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि लगातार ऊंची खाद्य कीमतों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई कम करने के प्रयासों को धीमा कर दिया.

विदेशी मुद्रा भंडार 675 अरब अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बताया कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दो अगस्त तक 675 अरब अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया .अगस्त में भारतीय रुपया काफी हद तक सीमित दायरे में रहेगा.वहीं, चालू वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा काफी हद तक प्रबंधन के दायरे में रहेगा.

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