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भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट: निवेशकों को 6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान

गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में अप्रत्याशित गिरावट देखने को मिली, जब सेंसेक्स 1,000 अंक से अधिक टूटकर 80,300 के नीचे आ गया और निफ्टी 218.7 अंक गिरकर 23,980.15 पर बंद हुआ। इस भारी गिरावट ने बाजार में खलबली मचा दी, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।

इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में ब्याज दरों में कम कटौती का संकेत देना है। फेड की इस घोषणा ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता को बढ़ा दिया है, जिससे निवेशकों में बेचैनी फैल गई। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर बिकवाली हुई।

इस गिरावट के परिणामस्वरूप निवेशकों को लगभग 6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। यह एक ही दिन में निवेशकों के लिए बहुत बड़ी आर्थिक चोट है। सेंसेक्स की इस गिरावट में प्रमुख कंपनियों जैसे एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एसबीआई और एचसीएल टेक के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई।

घरेलू आईटी कंपनियों पर भी इसका भारी असर पड़ा, जो अमेरिकी बाजारों पर काफी निर्भर हैं। एलटीआई माइंडट्री, एमफैसिस, और विप्रो जैसे आईटी कंपनियों के शेयरों में 5% तक की गिरावट दर्ज की गई। इसके साथ ही बैंकिंग सेक्टर में भी बड़ी बिकवाली हुई, जिसने सेंसेक्स और निफ्टी को नीचे खींच लिया।

बाजार की अस्थिरता का सूचकांक इंडिया VIX 5% बढ़कर 14.37 पर पहुंच गया। यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में बाजार में और अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में निवेशकों को सतर्क रहने और अपने निवेश पोर्टफोलियो की समीक्षा करने की जरूरत है।

बाजार की इस गिरावट के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को धैर्य बनाए रखना चाहिए और बिना सोचे-समझे फैसले लेने से बचना चाहिए। बाजार की अस्थिरता के बावजूद, यह निवेशकों के लिए एक अवसर भी हो सकता है कि वे दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं और मजबूत कंपनियों के शेयर खरीदें।

इस घटना ने भारतीय शेयर बाजार को गहरे दबाव में डाल दिया है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट अल्पकालिक हो सकती है, लेकिन यह निवेशकों के लिए एक सबक भी है कि वे अपने निवेश में सावधानी बरतें और बाजार की स्थितियों पर लगातार नजर रखें।

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