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मार्केट क्रैश: सेंसेक्स, निफ्टी के लिए सर्किट फिल्टर क्या हैं? समझिए आसान भाषा में

जब शेयर बाजार में अचानक बड़ी गिरावट या तेजी आती है, तो आपने अक्सर “सर्किट ब्रेकर” या “सर्किट फिल्टर” जैसे शब्द सुने होंगे। आइए समझते हैं कि ये क्या होते हैं और बाजार में इनकी क्या भूमिका होती है।

सर्किट फिल्टर या सर्किट ब्रेकर क्या है?

सर्किट ब्रेकर एक ऐसा तंत्र है जिसे स्टॉक एक्सचेंज द्वारा लगाया जाता है ताकि बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के समय ट्रेडिंग को कुछ समय के लिए रोका जा सके। इसका उद्देश्य बाजार में घबराहट और अनियंत्रित ट्रेडिंग को रोकना है।

कैसे काम करता है सर्किट ब्रेकर सिस्टम?

सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख इंडेक्स के लिए, तीन स्तर के सर्किट ब्रेकर होते हैं:

  1. 10% की मूवमेंट
  2. 15% की मूवमेंट
  3. 20% की मूवमेंट

यह मूवमेंट ऊपर या नीचे — दोनों ओर हो सकती है।

ट्रेडिंग कब और कितनी देर के लिए रुकती है?

उदाहरण (10% की गिरावट पर):

गिरावट का समय ट्रेडिंग रोकने की अवधि
सुबह 9:15 से पहले 45 मिनट के लिए
सुबह 9:15 – 1:00 के बीच 1 घंटे के लिए
दोपहर 1:00 के बाद शेयर बाजार उस दिन के लिए बंद हो सकता है

Higher levels (15% या 20%) पर ट्रेडिंग अधिक समय तक बंद हो सकती है या दिन भर के लिए समाप्त हो सकती है।

सर्किट ब्रेकर का उद्देश्य क्या है?

  • निवेशकों को सोचने और स्थिति समझने का समय देना
  • घबराहट में बिकवाली (panic selling) को रोकना
  • बाजार में स्थिरता बनाए रखना

सिर्फ इंडेक्स पर नहीं, स्टॉक्स पर भी होते हैं सर्किट फिल्टर

हर कंपनी के शेयर पर भी एक लिमिट होती है — जैसे 5%, 10%, या 20% — ताकि वह एक दिन में उससे ज्यादा ऊपर या नीचे न जा सके। इसे स्टॉक सर्किट लिमिट कहते हैं।

अभी क्यों चर्चा में है?

हाल ही में ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी और वैश्विक बाजारों में गिरावट के कारण भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में 1000+ अंकों की गिरावट आई, जिससे सर्किट फिल्टर की चर्चा फिर से शुरू हो गई है।

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