पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) को भारतीय लोकतंत्र के लिए एक क्रांतिकारी पहल करार दिया है। एजेंडा आजतक 2024 के पहले दिन कोविंद ने इस विचार पर चर्चा करते हुए इसके संभावित लाभों और इसके कार्यान्वयन से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला।
क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’?
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मुख्य उद्देश्य देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है। वर्तमान में, देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिससे बार-बार चुनावी खर्च, प्रशासनिक बाधाएं और विकास कार्यों में रुकावटें आती हैं।
कोविंद ने कहा कि यह नीति न केवल आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद होगी, बल्कि इससे देश की प्रशासनिक प्रणाली में स्थिरता आएगी। बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा।
लाभ जो इसे गेम चेंजर बना सकते हैं
- चुनावी खर्च में कमी:
बार-बार चुनाव कराना सरकारी खजाने पर भारी बोझ डालता है। एक साथ चुनाव होने से यह खर्च काफी हद तक कम हो सकता है। - स्थिरता और सुचारु शासन:
कोविंद ने बताया कि बार-बार चुनावी गतिविधियां प्रशासन और शासन में बाधा डालती हैं। इस मॉडल को अपनाने से सरकारें विकास और नीतियों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। - जनता और प्रशासन को राहत:
चुनावों के दौरान सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर भारी दबाव होता है। एक साथ चुनाव होने से जनता और प्रशासन दोनों को राहत मिलेगी।
हालांकि, यह पहल जितनी फायदेमंद दिखती है, उतनी ही चुनौतियों से भरी भी है। देश में विविधता, राजनीतिक दलों की सहमति और संवैधानिक बदलाव इस योजना की राह में प्रमुख बाधाएं हैं। कोविंद ने जोर देकर कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक विचार-विमर्श और राजनीतिक सहमति आवश्यक होगी।
इसके अलावा, कोविंद ने बताया कि इस पहल को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। राज्यों और केंद्र के बीच तालमेल को मजबूत बनाना इस प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा होगा।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विचार पर चर्चा करते हुए कोविंद ने इसे भारतीय लोकतंत्र को एक नई दिशा देने वाला कदम बताया। उन्होंने इसे केवल एक राजनीतिक पहल नहीं, बल्कि जनता के हित में एक दूरदर्शी निर्णय करार दिया।
यह विचार न केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि यह भारत को विश्व के सामने एक संगठित और सशक्त राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करेगा। हालांकि इसे लागू करने में समय और संसाधन लगेंगे, लेकिन अगर यह सफल होता है, तो भारतीय लोकतंत्र के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के माध्यम से भारत एक नई शुरुआत की ओर बढ़ सकता है। इसके क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों के बावजूद, इसका लाभ लंबे समय में देश और जनता को मिलेगा। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की यह दृष्टि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील का पत्थर साबित हो सकती है।