मुंबई की सुबह अरब सागर की लहरों की तरह ही उबल रही थी। ट्रेडिंग फ्लोर का शोर आकाश को छू रहा था, जहां हर्ष, एक महत्वाकांक्षी युवा, बाजार के उतार-चढ़ाव की लय को पकड़ने की कोशिश में लगा हुआ था। उसकी आंखों के सामने भारत के शीर्ष 10 बिजनेसमैन के नेटवर्थ टिकर टेप की तरह दौड़ रहे थे। मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, राधाकिशन दमानी – ये नाम उसके दिमाग में महल खड़े कर रहे थे।
हर्ष अपनी चायपत्ती फैंकते हुए सोचता, “एक दिन मेरा नाम भी इस ऊंचाइयों पर होगा। वो करोड़ों नहीं, खरबों में खेलेगा।” यह सपना उसे बचपन से ही था, उस छोटे कस्बे से, जहां दाल-रोटी की गंध हवा में घुलती थी और पिताजी की किराने की दुकान की कलरव उसके पालने का गीत था।
लेकिन हकीकत अलग थी। उसकी जेब में हवा, बैंक अकाउंट में शून्य और हाथ में एक इंजीनियरिंग की डिग्री। फिर भी, हर्ष का हौसला अटूट था। वो जानता था, पहाड़ों की चोटी पर पहुंचने के लिए घाटियों को पार करना ही पड़ता है।
उसने छोटे कारोबारों को कंसल्ट करना शुरू किया। दिन-रात मेहनत, रातों की जागकर रणनीति बनाने, दिमाग पचाने वाले डेटा का विश्लेषण – यही उसकी दिनचर्या बन गई। धीरे-धीरे, उसकी मेहनत का फल मिलने लगा। छोटे कारोबार उसके सलाह को मानकर सफल होने लगे। उसका नाम बाजार में फैलने लगा।
एक दिन, मुंबई के एक दिग्गज उद्योगपति की कंपनी उसकी तरफ बढ़ी। वो चाहते थे कि हर्ष अपनी जादुई छड़ी उन्हीं के बिजनेस पर चलाए। हर्ष ने झट से हांथ नहीं मिलाया। उसने उनके बिजनेस का बारीकी से अध्ययन किया, कमजोरियां पकड़ीं और मजबूत रणनीति बनाई।
कुछ महीनों में ही अदभुत हुआ। उस दिग्गज कंपनी के शेयर आसमान छूने लगे। हर्ष सबके हीरो बन गया। उसकी कंसल्टिंग फीस आसमान छूने लगी। वो मध्यम वर्ग से ऊपर उठकर करोड़पतियों की लीग में पहुंच ही गया।
लेकिन असली जीत तो उसके अंदर थी। उसे महसूस हुआ कि खरबों कमाने से ज्यादा बड़ी बात है एक सपने को जुनून से जीना, पहाड़ों की चोटी पर चढ़ना, और सबसे बड़ी बात, हार का स्वाद चखते हुए भी हौसला न हारना।
आज, हर्ष भारत के बड़े उद्योगपतियों के साथ उसी सूची में बैठता है। उसका सफर किसी परीकथा से कम नहीं है, जो बतलाता है कि जुनून, कड़ी मेहनत और जमीन से जुड़े रहने से असंभव भी संभव हो सकता है। हर्ष की कहानी भारत के लाखों युवाओं को यह सपना दिखाती है कि वो भी बुलंदियां छू सकते हैं, हवा में नहीं, हकीकत में।
भारत के शीर्ष 10 बिजनेसमैन और उनका नेटवर्थ (दिसंबर 2023 तक):
- मुकेश अंबानी (Reliance Industries) – $94.3 बिलियन
- गौतम अडानी (Adani Group) – $72.2 बिलियन
- शिव नादर (HCL Technologies) – $31.2 बिलियन
- सावित्री जिंदल (OP Jindal Group) – $29.0 बिलियन
- राधाकिशन दमानी (Avenue Supermarts) – $23.0 बिलियन
- साइरस पूनावाला (Serum Institute of India) – $20.7 बिलियन
- हिंदुजा परिवार (Ashok Leyland) – $20.0 बिलियन
- दिलीप शांघवी (Sun Pharmaceuticals) – $19.0 बिलियन
- कुमार बिड़ला (Aditya Birla Group) – $17.5 बिलियन
- शपूर मिस्त्री और परिवार (Shapoorji Pallonji Group) – $16.9 बिलियन
ध्यान देने योग्य बातें:
- यह सूची फोर्ब्स के अनुसार दिसंबर 2023 तक की है।
- नेटवर्थ का आंकलन वास्तविक समय में बदल सकता है।
- सूची में केवल भारतीय मूल या राष्ट्रीयता वाले व्यापारियों को शामिल किया गया है।
कृपया बताएं कि क्या आप इन व्यक्तियों और उनके व्यवसायों के बारे में अधिक जानना चाहते हैं। मुझे किसी विशिष्ट व्यक्ति के बारे में जानकारी प्रदान करने में खुशी होगी।