नई दिल्ली: भारतीय संगीत जगत के महान तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया। उनके असमय निधन की खबर से संगीत प्रेमियों और कलाकारों में शोक की लहर दौड़ गई है।
संगीत की दुनिया का चमकता सितारा
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रख्यात कलाकारों में से एक थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा से न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नई पहचान दिलाई। उनका संगीत करियर कई दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने शास्त्रीय, फ्यूजन और पश्चिमी संगीत के साथ अपने प्रयोगों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
सम्मान और योगदान
- उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को उनके शानदार योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म श्री (1988) और पद्म भूषण (2002) से सम्मानित किया गया था।
- उन्होंने कई प्रतिष्ठित संगीतकारों के साथ भारत और विदेशों में प्रदर्शन किया।
- उनकी विशेषता तबले की जटिल ताल और लय को सहजता से प्रस्तुत करना थी।
शोक संदेश और श्रद्धांजलि
उनके निधन की खबर के बाद संगीत और कला जगत की कई हस्तियों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा, “उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का योगदान भारतीय संगीत के इतिहास में अमिट रहेगा। उनके निधन से हमने एक महान कलाकार खो दिया।”
गायक एआर रहमान ने कहा, “उस्ताद जी की विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। उनकी संगीत की धुनें हमारे दिलों में हमेशा गूंजती रहेंगी।”
यादगार विरासत
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का संगीत और उनकी कला को आने वाले समय में याद किया जाएगा। उनका योगदान केवल भारतीय संगीत तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने विश्व स्तर पर भारतीय संगीत का परचम लहराया।
उनका निधन संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी संगीत साधना और जादुई तबले की थाप हमेशा जीवित रहेंगी।