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वेंटीव हॉस्पिटैलिटी IPO दिन 1: GMP, सब्सक्रिप्शन स्टेटस, समीक्षा और अन्य मुख्य विवरण। आवेदन करें या नहीं?

वेंटीव हॉस्पिटैलिटी का ₹1,600 करोड़ का प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) आज, शुक्रवार, 20 दिसंबर से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल रहा है। यह बुक-बिल्ट इश्यू पूरी तरह से 2.5 करोड़ नए शेयरों का फ्रेश इश्यू है, जिसकी सब्सक्रिप्शन विंडो मंगलवार, 24 दिसंबर को बंद होगी।

एंकर निवेशकों से जुटाए ₹719.5 करोड़
इस पब्लिक इश्यू से पहले, ब्लैकस्टोन समर्थित कंपनी ने एंकर निवेशकों से ₹719.5 करोड़ जुटाए। कंपनी ने ₹643 प्रति शेयर के हिसाब से 1,11,90,513 शेयर एंकर निवेशकों को आवंटित किए, जिनका फेस वैल्यू ₹1 प्रति शेयर है।
टॉप एंकर निवेशकों में क्वांट म्यूचुअल फंड, गवर्नमेंट पेंशन ग्लोबल फंड, ऑलस्प्रिंग ग्लोबल इन्वेस्टमेंट LLC, टाटा एब्सोल्यूट रिटर्न फंड, आदित्य बिड़ला इंडिया फंड, SBI जनरल इंश्योरेंस, SBI लाइफ इंश्योरेंस, न्यूवामा, JM फाइनेंशियल म्यूचुअल फंड, और 360 वन इनकम अपॉर्च्युनिटीज फंड शामिल हैं।

वेंटीव हॉस्पिटैलिटी IPO का GMP
शेयर बाजार के सूत्रों के अनुसार, वेंटीव हॉस्पिटैलिटी IPO का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) ₹66 था। इश्यू के ऊपरी प्राइस बैंड ₹643 को देखते हुए, वेंटीव हॉस्पिटैलिटी के शेयरों की अनुमानित लिस्टिंग कीमत ₹709 है, जो 10% प्रीमियम पर है।

वेंटीव हॉस्पिटैलिटी IPO सब्सक्रिप्शन स्टेटस
वेंटीव हॉस्पिटैलिटी IPO का सब्सक्रिप्शन स्टेटस आज सुबह 10 बजे के बाद उपलब्ध होगा।

वेंटीव हॉस्पिटैलिटी IPO के मुख्य विवरण
  1. IPO प्राइस बैंड: इश्यू का प्राइस बैंड ₹610 से ₹643 प्रति शेयर तय किया गया है।
  2. IPO की तिथियां: यह मेनबोर्ड IPO शुक्रवार, 20 दिसंबर को खुलेगा और मंगलवार, 24 दिसंबर को बंद होगा।
  3. IPO का आकार: इस इश्यू में कोई ऑफर फॉर सेल (OFS) शामिल नहीं है। यह पूरी तरह से 2.49 करोड़ नए शेयरों का फ्रेश इश्यू है, जिससे ₹1,600 करोड़ जुटाए जाएंगे।
  4. IPO का आरक्षण: 75% हिस्सा योग्य संस्थागत खरीदारों (QIBs) के लिए आरक्षित है, 15% हिस्सा गैर-संस्थागत निवेशकों (NIIs) के लिए, और 10% हिस्सा रिटेल निवेशकों के लिए।
  5. लॉट साइज: न्यूनतम आवेदन के लिए 23 शेयरों का लॉट साइज तय है। ऊपरी प्राइस बैंड ₹643 पर, रिटेल निवेशकों को न्यूनतम ₹14,789 का निवेश करना होगा।
  6. शेयर आवंटन और लिस्टिंग की तारीख: SEBI के T+3 नियम के अनुसार, IPO बंद होने के तीन बिजनेस दिनों के भीतर शेयरों को लिस्ट करना अनिवार्य है। यह शेयर BSE और NSE पर सोमवार, 30 दिसंबर को लिस्ट होंगे। शेयर आवंटन 26 दिसंबर को फाइनल किया जाएगा।
  7. बुक-रनिंग लीड मैनेजर्स और रजिस्ट्रार: JM फाइनेंशियल, एक्सिस कैपिटल, HSBC सिक्योरिटीज, ICICI सिक्योरिटीज, IIFL सिक्योरिटीज, कोटक महिंद्रा कैपिटल और SBI कैपिटल मार्केट्स लीड मैनेजर हैं, जबकि KFin टेक्नोलॉजीज रजिस्ट्रार हैं।
  8. इश्यू का उद्देश्य: RHP के अनुसार, कंपनी प्राप्त राशि का उपयोग अपने और उसकी सहायक कंपनियों के कुछ कर्ज को चुकाने और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए करेगी।
  9. व्यवसाय विवरण: कंपनी लक्जरी बिजनेस और लीजर सेगमेंट पर ध्यान केंद्रित करती है। इसके सभी हॉस्पिटैलिटी एसेट्स ग्लोबल ऑपरेटर्स जैसे Marriott, Hilton, Minor और Atmosphere द्वारा संचालित हैं या फ्रैंचाइज़ हैं।
  10. वित्तीय प्रदर्शन: FY22 में कंपनी का राजस्व ₹2,291.70 मिलियन था, जो FY23 में बढ़कर ₹4,308.13 मिलियन और FY24 में ₹4,779.80 मिलियन हो गया। हालांकि, FY24 की पहली छमाही में, हालिया अधिग्रहणों के कारण कंपनी को ₹348.66 मिलियन का घाटा हुआ।

अगर आप एक दीर्घकालिक निवेशक हैं और कंपनी के लक्जरी हॉस्पिटैलिटी व्यवसाय और वित्तीय प्रदर्शन पर भरोसा करते हैं, तो यह IPO आपके पोर्टफोलियो के लिए एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। हालांकि, अल्पकालिक निवेश के लिए ग्रे मार्केट प्रीमियम और सब्सक्रिप्शन आंकड़ों का विश्लेषण जरूर करें।

किआ साइरोस: इसके शानदार बाहरी डिज़ाइन पर एक नज़र

किआ साइरोस, किआ के नवीनतम मॉडलों जैसे EV9 और कार्निवल से प्रेरणा लेते हुए, भारतीय SUV बाजार में एक नई पहचान लेकर आया है। किआ सॉनेट और किआ सेल्टोस के बीच स्थित, साइरोस अपने अनोखे और बोल्ड बाहरी डिज़ाइन के साथ अन्य किसी भी किआ मॉडल से अलग है। आइए इसके डिज़ाइन को 15 वास्तविक छवियों की मदद से विस्तार से समझें।

फ्रंट डिज़ाइन
साइरोस का 3-पॉड वर्टिकली स्टैक्ड हेडलाइट डिज़ाइन किआ कार्निवल से प्रेरित है। इसके साथ ही, वर्टिकल LED DRLs भी हेडलाइट्स के बगल में दिए गए हैं। इसका एंगुलर बोनट डिज़ाइन एक ग्लॉस-ब्लैक ट्रिम के साथ आता है, जो टाटा पंच EV के कनेक्टेड LED DRL डिज़ाइन जैसा दिखता है।

फ्रंट बंपर दो टोन में बनाया गया है, जिसमें ऊपरी हिस्सा बॉडी-कलर्ड और निचला हिस्सा काला है, जिसमें दो एयर इंटेक चैनल शामिल हैं। सिल्वर फॉक्स स्किड प्लेट इसकी स्टाइल को और बढ़ाती है, हालांकि इसमें फ्रंट फॉग लाइट्स नहीं हैं।

साइड प्रोफाइल
साइड से देखने पर, साइरोस का बॉक्सी डिज़ाइन किआ EV9 से प्रेरित है। इसके 17-इंच ड्यूल-टोन अलॉय व्हील्स फ्लैगशिप EV के डिज़ाइन की झलक देते हैं। फ्लश डोर हैंडल्स और बॉडी-कलर्ड ORVMs पर लगे कैमरे इसके मॉडर्न लुक को और उभारते हैं। 360-डिग्री कैमरा सेटअप इसे और हाई-टेक बनाता है।

विंडो लाइन पीछे की ओर टेपर होती है, और ब्लैक आउट C-पिलर पैसेंजर विंडो और रियर क्वार्टर ग्लास को एकीकृत जैसा दिखता है। दरवाजों पर काली क्लैडिंग और सिल्वर स्किड प्लेट्स दी गई हैं, जो SUV को स्पोर्टी और मजबूत लुक देती हैं।

रियर डिज़ाइन
रियर डिज़ाइन भी फ्रंट जितना ही आकर्षक है। इसमें L-आकार की LED टेल लाइट्स और रियर फेंडर्स पर लगे टेल लाइट और टर्न इंडिकेटर यूनिट्स शामिल हैं। काले फिनिश वाला रियर बंपर रियर कैमरा, सिल्वर फॉक्स स्किड प्लेट और रिवर्सिंग लाइट को समायोजित करता है। शार्क-फिन एंटीना, रूफ-माउंटेड स्पॉयलर और रियर वाइपर इसे पूरी तरह से परिष्कृत बनाते हैं।

लॉन्च डिटेल्स
किआ साइरोस को जनवरी 2025 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है, और इसकी शुरुआती कीमत ₹9 लाख (एक्स-शोरूम, पैन-इंडिया) हो सकती है। यह सीधे किसी मॉडल से प्रतिस्पर्धा नहीं करेगा, लेकिन यह मारुति ब्रेज़ा, टाटा नेक्सॉन, किआ सॉनेट, हुंडई क्रेटा, मारुति ग्रैंड विटारा और किआ सेल्टोस जैसे सबकॉम्पैक्ट और कॉम्पैक्ट SUVs का एक बढ़िया विकल्प साबित होगा।

किआ साइरोस अपने सेगमेंट में डिज़ाइन और इनोवेशन के साथ एक नई परिभाषा लेकर आएगा।

GitHub ने VS Code डेवलपर्स के लिए मुफ्त AI प्रोग्रामिंग Copilot लॉन्च किया

GitHub, जो कि Microsoft की सहायक कंपनी है, ने अपने लोकप्रिय AI-संचालित कोडिंग असिस्टेंट, GitHub Copilot Free की घोषणा की है। यह अब Visual Studio Code (VS Code) में सीधे इंटीग्रेटेड है और डेवलपर्स के लिए मुफ्त उपलब्ध है। हालांकि, इसमें कुछ सीमाएँ भी हैं।

GitHub ने पहली बार 2022 में Copilot लॉन्च किया था, जो OpenAI के Codex मॉडल पर आधारित है। इसे नियमित रूप से अपडेट किया गया है, और अब इसे एक मुफ्त वर्जन में पेश किया गया है, जो हल्के उपयोग और सीमित बजट वाले डेवलपर्स के लिए डिज़ाइन किया गया है।

मुख्य विशेषताएं:
GitHub Copilot Free उपयोगकर्ताओं को हर महीने 2,000 कोड कंप्लीशन और 50 चैट मैसेज प्रदान करता है। इसके लिए एक पर्सनल GitHub अकाउंट की आवश्यकता होती है। यह सेवा OpenAI के GPT-4o और Anthropic के Claude 3.5 Sonnet जैसे उन्नत AI मॉडल का उपयोग करती है, जिससे डेवलपर्स को कोडिंग क्वेरीज़ हल करने, डिबगिंग और मल्टी-फाइल एडिटिंग में मदद मिलती है।

नई सुविधाएं:

  • मल्टी-फाइल एडिटिंग: Copilot Edits के ज़रिए कई फाइल्स में एक साथ बदलाव करें।
  • टर्मिनल असिस्टेंस: टर्मिनल चैट के माध्यम से एरर को समझें और फिक्स करें।
  • कस्टम इंस्ट्रक्शंस: प्रोजेक्ट या एडिटर स्तर पर कोडिंग प्रेफरेंसेस सेट करें।
  • वॉयस कमांड्स: वॉयस इंटरफेस के माध्यम से हाथों का उपयोग किए बिना कोडिंग करें।
  • प्रोजेक्ट कॉन्टेक्स्ट अवेयरनेस: Copilot पूरे कोडबेस को समझते हुए सहायता प्रदान करता है।

अन्य ऑफरिंग्स:
GitHub Copilot Free के अलावा, GitHub ने Copilot Pro ($10 प्रति माह) को छात्रों, शिक्षकों और ओपन-सोर्स मेंटेनर्स के लिए मुफ्त रखा है। Pro उपयोगकर्ता Google Gemini 1.5 Pro और OpenAI o1-preview जैसे प्रीमियम AI मॉडल का उपयोग कर सकते हैं।

Vision Copilot का पूर्वावलोकन:
GitHub एक नई सुविधा Vision Copilot का परीक्षण कर रहा है, जो स्क्रीनशॉट या मार्कअप से यूजर इंटरफेस जनरेट करने में मदद करता है। यह अभी प्रीव्यू में है और इसके लिए यूजर्स को AI सेवाओं के लिए अपना API की प्रदान करना होगा।

डेवलपर्स को सशक्त बनाना:
GitHub का Copilot Free लॉन्च डेवलपर समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। CEO थॉमस डोह्मके ने कहा कि यह कदम दुनिया भर के डेवलपर्स के लिए बाधाओं को कम करने के उनके मिशन का हिस्सा है।

GitHub Copilot Free अब VS Code और GitHub.com पर उपलब्ध है। इच्छुक डेवलपर्स इसे GitHub डैशबोर्ड या VS Code में इनेबल कर सकते हैं।

भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट: निवेशकों को 6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान

गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में अप्रत्याशित गिरावट देखने को मिली, जब सेंसेक्स 1,000 अंक से अधिक टूटकर 80,300 के नीचे आ गया और निफ्टी 218.7 अंक गिरकर 23,980.15 पर बंद हुआ। इस भारी गिरावट ने बाजार में खलबली मचा दी, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।

इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में ब्याज दरों में कम कटौती का संकेत देना है। फेड की इस घोषणा ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता को बढ़ा दिया है, जिससे निवेशकों में बेचैनी फैल गई। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर बिकवाली हुई।

इस गिरावट के परिणामस्वरूप निवेशकों को लगभग 6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। यह एक ही दिन में निवेशकों के लिए बहुत बड़ी आर्थिक चोट है। सेंसेक्स की इस गिरावट में प्रमुख कंपनियों जैसे एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एसबीआई और एचसीएल टेक के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई।

घरेलू आईटी कंपनियों पर भी इसका भारी असर पड़ा, जो अमेरिकी बाजारों पर काफी निर्भर हैं। एलटीआई माइंडट्री, एमफैसिस, और विप्रो जैसे आईटी कंपनियों के शेयरों में 5% तक की गिरावट दर्ज की गई। इसके साथ ही बैंकिंग सेक्टर में भी बड़ी बिकवाली हुई, जिसने सेंसेक्स और निफ्टी को नीचे खींच लिया।

बाजार की अस्थिरता का सूचकांक इंडिया VIX 5% बढ़कर 14.37 पर पहुंच गया। यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में बाजार में और अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में निवेशकों को सतर्क रहने और अपने निवेश पोर्टफोलियो की समीक्षा करने की जरूरत है।

बाजार की इस गिरावट के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को धैर्य बनाए रखना चाहिए और बिना सोचे-समझे फैसले लेने से बचना चाहिए। बाजार की अस्थिरता के बावजूद, यह निवेशकों के लिए एक अवसर भी हो सकता है कि वे दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं और मजबूत कंपनियों के शेयर खरीदें।

इस घटना ने भारतीय शेयर बाजार को गहरे दबाव में डाल दिया है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट अल्पकालिक हो सकती है, लेकिन यह निवेशकों के लिए एक सबक भी है कि वे अपने निवेश में सावधानी बरतें और बाजार की स्थितियों पर लगातार नजर रखें।

प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में निधन, संगीत जगत में शोक की लहर

नई दिल्ली: भारतीय संगीत जगत के महान तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया। उनके असमय निधन की खबर से संगीत प्रेमियों और कलाकारों में शोक की लहर दौड़ गई है।

संगीत की दुनिया का चमकता सितारा

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रख्यात कलाकारों में से एक थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा से न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नई पहचान दिलाई। उनका संगीत करियर कई दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने शास्त्रीय, फ्यूजन और पश्चिमी संगीत के साथ अपने प्रयोगों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

सम्मान और योगदान
  • उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को उनके शानदार योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म श्री (1988) और पद्म भूषण (2002) से सम्मानित किया गया था।
  • उन्होंने कई प्रतिष्ठित संगीतकारों के साथ भारत और विदेशों में प्रदर्शन किया।
  • उनकी विशेषता तबले की जटिल ताल और लय को सहजता से प्रस्तुत करना थी।
शोक संदेश और श्रद्धांजलि

उनके निधन की खबर के बाद संगीत और कला जगत की कई हस्तियों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा, “उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का योगदान भारतीय संगीत के इतिहास में अमिट रहेगा। उनके निधन से हमने एक महान कलाकार खो दिया।”
गायक एआर रहमान ने कहा, “उस्ताद जी की विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। उनकी संगीत की धुनें हमारे दिलों में हमेशा गूंजती रहेंगी।”

यादगार विरासत

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का संगीत और उनकी कला को आने वाले समय में याद किया जाएगा। उनका योगदान केवल भारतीय संगीत तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने विश्व स्तर पर भारतीय संगीत का परचम लहराया।

उनका निधन संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी संगीत साधना और जादुई तबले की थाप हमेशा जीवित रहेंगी।

Hamps Bio IPO Day 2: जानिए लेटेस्ट GMP, सब्सक्रिप्शन स्टेटस, लिस्टिंग डेट और अन्य जानकारी

Hamps Bio का SME IPO:
Hamps Bio का SME IPO दूसरे दिन भी निवेशकों के बीच चर्चा में है। यह IPO निवेशकों के लिए आकर्षक अवसर प्रदान कर रहा है, खासकर उन लोगों के लिए जो छोटे और मझोले उद्यम (SME) कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं। यहां इस IPO से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

लेटेस्ट GMP (ग्रे मार्केट प्रीमियम):

Hamps Bio के IPO का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) तेजी दिखा रहा है। सूत्रों के अनुसार, GMP में बढ़त ने निवेशकों का ध्यान खींचा है। वर्तमान में GMP कंपनी के शेयर के प्रति निवेशकों की रुचि और संभावित लिस्टिंग गेन का संकेत देता है।

सब्सक्रिप्शन स्टेटस:

IPO के दूसरे दिन सब्सक्रिप्शन स्टेटस काफी सकारात्मक दिख रहा है। रिटेल और नॉन-इंस्टीट्यूशनल निवेशकों (NII) की अच्छी भागीदारी देखी गई है। कई निवेशक इसे ओवरसब्सक्राइब होने की संभावना मान रहे हैं।

लिस्टिंग डेट:

Hamps Bio के शेयरों की लिस्टिंग की तारीख 21 दिसंबर 2024 को निर्धारित की गई है। शेयरों की लिस्टिंग NSE SME प्लेटफॉर्म पर होगी।

IPO का आकार और मूल्य बैंड:
  • इश्यू साइज: Hamps Bio IPO का कुल साइज 20 करोड़ रुपये के आसपास है।
  • प्राइस बैंड: प्रति शेयर प्राइस ₹100-₹120 के बीच रखा गया है।
  • लॉट साइज: निवेशक कम से कम 1 लॉट के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिसमें 1000 शेयर होंगे।
कंपनी प्रोफाइल:

Hamps Bio एक उभरती हुई बायोटेक्नोलॉजी कंपनी है, जो हेल्थकेयर और फार्मास्यूटिकल्स से जुड़े प्रोडक्ट्स और सॉल्यूशंस पर काम करती है। कंपनी का फोकस इनोवेशन और क्वालिटी पर है, जो इसे SME सेक्टर में एक मजबूत खिलाड़ी बनाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, Hamps Bio IPO लॉन्ग-टर्म के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि, निवेशकों को कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति और बाजार की मौजूदा स्थिति का मूल्यांकन करके ही फैसला लेना चाहिए।

कौन थे सुचिर बालाजी? पूर्व OpenAI शोधकर्ता जिन्होंने AI की कानूनी जटिलताओं को उजागर किया।

सुचिर बालाजी, OpenAI के पूर्व शोधकर्ता, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की कानूनी और नैतिक चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे। उन्होंने AI के विकास में तेजी से बढ़ती कानूनी जटिलताओं और इनके संभावित खतरों पर गहन चर्चा शुरू की, जिससे यह विषय वैश्विक बहस का हिस्सा बन गया।

AI की कानूनी धुंध और सुचिर बालाजी की भूमिका

बालाजी ने AI तकनीक के उपयोग और दुरुपयोग के बीच की महीन रेखा पर जोर दिया। उनके अनुसार, AI का विस्तार इतना तेज़ी से हो रहा है कि कानून और नियामक इसे संभालने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने ऐसे कई उदाहरणों को उजागर किया, जहां AI तकनीक का उपयोग समाज में गहरे प्रभाव डाल सकता है, लेकिन इसके लिए स्पष्ट नियमों का अभाव है।

उन्होंने चेतावनी दी कि AI का गलत इस्तेमाल व्यक्तिगत गोपनीयता, नैतिकता, और मानव अधिकारों पर गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। बालाजी ने यह भी बताया कि AI की कानूनी अस्पष्टता न केवल आम जनता के लिए, बल्कि डेवलपर्स और संगठनों के लिए भी समस्याएं खड़ी कर रही है।

AI की चुनौतियां जो बालाजी ने उजागर कीं
  1. डेटा गोपनीयता का उल्लंघन:
    बालाजी ने कहा कि AI के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बड़े डेटा सेट अक्सर व्यक्तिगत जानकारी को उजागर करते हैं, जो गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
  2. भेदभाव और पक्षपात:
    AI एल्गोरिदम में अक्सर पूर्वाग्रह (bias) शामिल होता है, जो समाज में भेदभाव को और बढ़ावा दे सकता है। बालाजी ने इसे एक बड़ी चुनौती बताया।
  3. नियमों का अभाव:
    उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून AI की उन्नत क्षमताओं को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने वैश्विक स्तर पर AI के लिए स्पष्ट और सख्त नियमों की आवश्यकता पर जोर दिया।
AI की नैतिकता पर उनकी चिंताएं

बालाजी AI के नैतिक आयामों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करते थे। उन्होंने कहा कि AI की शक्ति इतनी बढ़ रही है कि इसका नियंत्रण खोने का जोखिम हमेशा बना रहता है। उन्होंने AI के प्रयोग में पारदर्शिता, जवाबदेही, और नैतिकता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की वकालत की।

सुचिर बालाजी का योगदान और विरासत

OpenAI में अपने कार्यकाल के दौरान, बालाजी ने AI के तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। लेकिन उनकी सबसे बड़ी विरासत AI के कानूनी और नैतिक पहलुओं पर जागरूकता बढ़ाने की रही। उन्होंने डेवलपर्स, सरकारों, और आम जनता से अपील की कि वे AI के जिम्मेदार उपयोग के लिए मिलकर काम करें।

सुचिर बालाजी ने अपनी आलोचनात्मक दृष्टि और तर्कों से AI की दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या तकनीकी प्रगति मानवता के लिए हमेशा फायदेमंद होगी। उनके विचार आज भी AI की नैतिकता और कानूनी ढांचे को मजबूत करने के प्रयासों में मार्गदर्शक हैं।

सुचिर बालाजी ने AI के संभावित खतरों और इसके जिम्मेदार उपयोग के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित किया। उनकी चेतावनियां और सुझाव AI के भविष्य को सही दिशा में ले जाने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। AI के क्षेत्र में उनकी दृष्टि और योगदान को लंबे समय तक याद रखा जाएगा।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है: पूर्व राष्ट्रपति कोविंद

पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) को भारतीय लोकतंत्र के लिए एक क्रांतिकारी पहल करार दिया है। एजेंडा आजतक 2024 के पहले दिन कोविंद ने इस विचार पर चर्चा करते हुए इसके संभावित लाभों और इसके कार्यान्वयन से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला।

क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’?

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मुख्य उद्देश्य देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है। वर्तमान में, देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिससे बार-बार चुनावी खर्च, प्रशासनिक बाधाएं और विकास कार्यों में रुकावटें आती हैं।

कोविंद ने कहा कि यह नीति न केवल आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद होगी, बल्कि इससे देश की प्रशासनिक प्रणाली में स्थिरता आएगी। बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा।

लाभ जो इसे गेम चेंजर बना सकते हैं

  1. चुनावी खर्च में कमी:
    बार-बार चुनाव कराना सरकारी खजाने पर भारी बोझ डालता है। एक साथ चुनाव होने से यह खर्च काफी हद तक कम हो सकता है।
  2. स्थिरता और सुचारु शासन:
    कोविंद ने बताया कि बार-बार चुनावी गतिविधियां प्रशासन और शासन में बाधा डालती हैं। इस मॉडल को अपनाने से सरकारें विकास और नीतियों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।
  3. जनता और प्रशासन को राहत:
    चुनावों के दौरान सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर भारी दबाव होता है। एक साथ चुनाव होने से जनता और प्रशासन दोनों को राहत मिलेगी।

हालांकि, यह पहल जितनी फायदेमंद दिखती है, उतनी ही चुनौतियों से भरी भी है। देश में विविधता, राजनीतिक दलों की सहमति और संवैधानिक बदलाव इस योजना की राह में प्रमुख बाधाएं हैं। कोविंद ने जोर देकर कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक विचार-विमर्श और राजनीतिक सहमति आवश्यक होगी।

इसके अलावा, कोविंद ने बताया कि इस पहल को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। राज्यों और केंद्र के बीच तालमेल को मजबूत बनाना इस प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा होगा।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विचार पर चर्चा करते हुए कोविंद ने इसे भारतीय लोकतंत्र को एक नई दिशा देने वाला कदम बताया। उन्होंने इसे केवल एक राजनीतिक पहल नहीं, बल्कि जनता के हित में एक दूरदर्शी निर्णय करार दिया।

यह विचार न केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि यह भारत को विश्व के सामने एक संगठित और सशक्त राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करेगा। हालांकि इसे लागू करने में समय और संसाधन लगेंगे, लेकिन अगर यह सफल होता है, तो भारतीय लोकतंत्र के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के माध्यम से भारत एक नई शुरुआत की ओर बढ़ सकता है। इसके क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों के बावजूद, इसका लाभ लंबे समय में देश और जनता को मिलेगा। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की यह दृष्टि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट आईपीओ: पहले दिन 4% सब्सक्रिप्शन, रिटेल निवेशकों का अच्छा रिस्पॉन्स

इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट (IGI) के आईपीओ ने पहले दिन 13 दिसंबर को 4% सब्सक्रिप्शन हासिल किया। रिटेल निवेशकों ने इसमें खास रुचि दिखाई, जहां इस श्रेणी में 17% शेयर सब्सक्राइब हुए।

IPO की खास बातें:

  • इश्यू साइज: ₹4,225 करोड़
  • एंकर निवेशकों से राशि: ₹1,900 करोड़ (एक दिन पहले जुटाई गई)
  • बोली लगाई गई कुल शेयर: 22.28 लाख
  • कुल ऑफर किए गए शेयर: 5.85 करोड़

एनएसई पर सुबह 11:06 बजे तक उपलब्ध डेटा के अनुसार, गैर-संस्थागत निवेशकों (NII) की श्रेणी में 3% सब्सक्रिप्शन देखा गया।

आईपीओ की समयसीमा

  • अलॉटमेंट की तारीख: 18 दिसंबर 2024
  • लिस्टिंग की तारीख: 20 दिसंबर 2024
  • स्टॉक एक्सचेंज: बीएसई और एनएसई

ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP)

आईजीआई के ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) में भी निवेशकों की रुचि बनी हुई है। हालांकि, इसका सटीक आंकड़ा अपडेट किया जा रहा है।

बैकग्राउंड:
ब्लैकस्टोन समर्थित डायमंड ग्रेडिंग कंपनी इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट (इंडिया) लिमिटेड ने इस आईपीओ के जरिए निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है।

निवेशकों के लिए मौका:
यह तीन दिवसीय आईपीओ 15 दिसंबर तक खुला रहेगा, जो निवेशकों को उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों में भागीदारी का अवसर प्रदान करता है।

इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट (IGI) के आईपीओ ने पहले दिन 13 दिसंबर को 4% सब्सक्रिप्शन हासिल किया। रिटेल निवेशकों ने इसमें खास रुचि दिखाई, जहां इस श्रेणी में 17% शेयर सब्सक्राइब हुए।

IPO की खास बातें:

  • इश्यू साइज: ₹4,225 करोड़
  • एंकर निवेशकों से राशि: ₹1,900 करोड़ (एक दिन पहले जुटाई गई)
  • बोली लगाई गई कुल शेयर: 22.28 लाख
  • कुल ऑफर किए गए शेयर: 5.85 करोड़

एनएसई पर सुबह 11:06 बजे तक उपलब्ध डेटा के अनुसार, गैर-संस्थागत निवेशकों (NII) की श्रेणी में 3% सब्सक्रिप्शन देखा गया।

आईपीओ की समयसीमा

  • अलॉटमेंट की तारीख: 18 दिसंबर 2024
  • लिस्टिंग की तारीख: 20 दिसंबर 2024
  • स्टॉक एक्सचेंज: बीएसई और एनएसई

ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP)

आईजीआई के ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) में भी निवेशकों की रुचि बनी हुई है। हालांकि, इसका सटीक आंकड़ा अपडेट किया जा रहा है।

बैकग्राउंड:
ब्लैकस्टोन समर्थित डायमंड ग्रेडिंग कंपनी इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टिट्यूट (इंडिया) लिमिटेड ने इस आईपीओ के जरिए निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है।

यह तीन दिवसीय आईपीओ 15 दिसंबर तक खुला रहेगा, जो निवेशकों को उच्च गुणवत्ता वाले शेयरों में भागीदारी का अवसर प्रदान करता है।

गुकेश: चौथी कक्षा में स्कूल छोड़ा, बिना प्रायोजक, पिता ने नौकरी छोड़ी, मां बनीं एकमात्र कमाने वाली: सबसे युवा विश्व चैंपियन की कहानी

भारतीय शतरंज खिलाड़ी डी. गुकेश का जीवन संघर्ष और बलिदान की मिसाल है। मात्र सात साल की उम्र में विश्व चैंपियन बनने का सपना देखने वाले गुकेश ने महज 11 साल में यह सपना सच कर दिखाया। 18 साल की उम्र में सबसे युवा विश्व चैंपियन बनने वाले गुकेश ने चीन के मौजूदा चैंपियन डिंग लिरेन को 14 मैचों की मैराथन में हराया और विश्वनाथन आनंद के बाद यह खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय बने।

यह जीत न केवल गुकेश के लिए, बल्कि उनके माता-पिता के लिए भी अविस्मरणीय थी। उनके पिता डॉ. रजनीकांत, जो एक प्रतिष्ठित ईएनटी सर्जन थे, ने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। वहीं उनकी मां पद्मा, जो एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं, परिवार की एकमात्र कमाने वाली बन गईं।

बलिदान और संघर्ष की कहानी

गुकेश का शतरंज का सफर आसान नहीं था। उनके पिता ने 2017-18 में प्रैक्टिस बंद कर दी और बेटे के साथ दुनिया भर में प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए सीमित बजट पर सफर किया। इस दौरान, उनकी मां ने घर की आर्थिक जिम्मेदारियां संभालीं।

गुकेश ने कहा, “हम आर्थिक रूप से बहुत मजबूत नहीं थे, लेकिन उस समय मुझे इसका अहसास नहीं था। 2017 और 2018 में स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि मेरे माता-पिता के दोस्तों ने मेरी मदद की। मेरे माता-पिता ने मेरे लिए कई तरह के बदलाव किए और सबसे ज्यादा बलिदान दिए।”

गुकेश ने चौथी कक्षा के बाद स्कूल जाना बंद कर दिया ताकि वे शतरंज पर पूरा ध्यान दे सकें। 2013 में, जब विश्वनाथन आनंद ने अपना विश्व खिताब मैग्नस कार्लसन के खिलाफ गंवाया था, तब गुकेश ने सप्ताह में तीन बार एक घंटे की शतरंज कक्षाओं से शुरुआत की।

शुरुआती सफलता और चढ़ाई

गुकेश ने अपनी पहली बड़ी जीत 2018 में एशियन स्कूल चैंपियनशिप और वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप (अंडर-12) में गोल्ड मेडल के रूप में दर्ज की। 2019 में, नई दिल्ली में आयोजित एक प्रतियोगिता के दौरान, उन्होंने इतिहास रचते हुए दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर का खिताब जीता।

हालांकि, इस सफर में गुकेश को प्रायोजकों का अभाव झेलना पड़ा। उनकी ज्यादातर आर्थिक जरूरतें पुरस्कार राशि और माता-पिता की क्राउड-फंडिंग के जरिए पूरी हुईं। लेकिन इन सभी चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने अपने आदर्श विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ते हुए भारत के नंबर-1 खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया।

आनंद से मिली दिशा

गुकेश की किस्मत तब चमकी, जब वेस्टब्रिज-आनंद चेस अकादमी, जो 2020 में COVID-19 महामारी के दौरान शुरू हुई थी, में उन्हें आनंद से प्रशिक्षण लेने का मौका मिला। इस अकादमी ने गुकेश को उनके खेल में सुधार करने और नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद की।

गुकेश ने अपने माता-पिता के समर्थन और अपने दृढ़ संकल्प से यह साबित कर दिया कि कठिनाइयों के बावजूद, अगर जुनून और मेहनत हो, तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।